सूत्र :त्रिगुणाचेतन-त्वादि द्वयोः II1/126
सूत्र संख्या :126
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : अब कार्य कारण का भेद कहकर कार्य कारण के साधम्र्य अर्थात् बराबरीपन कहते हैं- कि सत्य, रज तम, यह तीनों गुण अचेतनत्वादि का धर्म दोदों के समान ही हैं, आदि शब्द से परिणामित्वादि का ग्रहण होता है।