सूत्र :लघ्वादिधर्मैरन्योन्यं साधर्म्यं वैधर्म्यं गुणानाम् II1/128
सूत्र संख्या :128
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : लघुत्वादि धर्मो से सत्वादि गुणों का सामाथ्र्य और वैधम्र्य है, जैसे लघुत्व के साथ सर्व सत्वव्यक्तियों का (सतोगुण के पदार्थों का) साधम्र्य है, रज और तम का वैधम्र्म है, एवं चंचलत्वादि के साथ रजोव्यक्तियों का (रजोगुण के पदार्थों का) साधम्र्य है, और सत्व तम का वैधम्र्य है, इस ही प्रकार गुरूत्व आदि के साथ तमोव्यक्तियों का (तमोगुण के पदार्थों का) साधम्र्म है, और सत्व, रज से वैधम्र्य है।
प्रश्न- यद्यपि महदादि स्वरूप से सिद्धि है तो भी प्रत्यक्ष से उनकी उत्पत्ति नननहीं दीखती, इसी कारण महदादिकों के कार्य होने में कोई भी प्रमाण नहीं?