सूत्र :नाशः कारणलयः II1/121
सूत्र संख्या :121
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : लीड्.’’ श्लेषणे धातु से लय शद बनता है। अति सूक्ष्मता के साथ कार्य का कारण में मिल जाना, इसी का नाम नाश है। कार्य की व्यतीत अवस्था अर्थात् जो अवस्था कार्य की उत्पत्ति से पूर्व थी, उसी को धारण कर लेना और जो नाश भविष्यत् में होने वाला है, उसी का नाम प्रागभाव नामक नाश है।