सूत्र :कार्यदर्शनात्तदुपलब्धेः II1/110
सूत्र संख्या :110
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : संसार में प्रकृति के कार्यों को देखने से प्रकृति का होना सिद्ध होता है, क्योंकि कार्यं को देखने से कारण का अनुमान होता है, और इन कार्यों को बिगाड़कर सूक्ष्म होकर कारण में लय होने से कारण की सूक्ष्मता का अनुमान होता है।