सूत्र :विषयोऽविषयोऽप्यतिदूरादेर्हानोपादानाभ्यामिन्द्रियस्य II1/108
सूत्र संख्या :108
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : इन्द्रियों के विषय अति दूरादि कारणें से अविषय हो जाते हैं, इस वास्ते किसी इन्द्रिय का विषय न होने से प्रकृति की असिद्धि नहीं हो सकती हैं, जैसे-अभी एक मनुष्य था, परन्तु थोड़े काल में दूर चला गया, अब वह किसी इन्द्रिय का विषय नहीं रहा।