DARSHAN
दर्शन शास्त्र : न्याय दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

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Shlok

सूत्र :अन्तर्बहिश्च कार्यद्रव्यस्य कारणान्तरवचनादकार्ये तदभावः II4/2/20
सूत्र संख्या :20

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : भीतर और बाहर इन शब्दों का व्यवहार कार्य वस्तु और उसके भागों में हो सकता है, परन्तु के कार्य न होने से उसमें यह व्यवहार नहीं हो सकता। क्योंकि सूक्ष्म कारण का नाम जिसका विभाग न होसके, परमाणु है। फिर इसी की पुष्टि करते हैं-

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