सूत्र :आकाशव्यतिभेदात्तदनुपपत्तिः II4/2/18
सूत्र संख्या :18
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : परमाणु का निरवयव होना सिद्ध नहीं होता, क्योंकि परमाणु के भीतर आकाश मौजूद है और बाहर भी आकाश है। जबकि परमाणु ब्याप्त है तो फिर वह निरवयव क्योंकर हो सकता है? अतएव परमाणुसावयव होने से अनित्य है। पुनः वादी कहता हैः-