DARSHAN
दर्शन शास्त्र : न्याय दर्शन
 
Language

Darshan

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सूत्र :न प्रलयोऽणुसद्भावात् II4/2/16
सूत्र संख्या :16

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : अवयवों के विभाग कल्पित करके अवयवी के खण्डन से जो अभाव सिद्ध किया जाता है, यह ठीक नहीं, क्योंकि यह हेतु निरवयव परमाणुओं का खंडन नही कर सकता। वस्तु का विभाग करते-करते अब उसका खण्डन न हो सके, तब उसे परमाणु कहते हैं और कारण में लीन होने का नाम नाश है जो कि कार्य का होता है। कारण रूप परमाणु का जौ कि विभाग के अयोग्य है, नाश नहीं होता। जब परमाणु का प्रलय नहीं है, तब अभाव किसी वस्तु का नहीं हो सकता। अब परमाणु लक्षण कहते हैं-

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