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दर्शन शास्त्र :
न्याय दर्शन
Language
HINDI
ENGLISH
Darshan
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सूत्र :
परं वा त्रुटेः II4/2/17
सूत्र संख्या :
17
व्याख्याकार :
स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ :
किसी वस्तु का विभाग करते-करते जब वह इस दशा को पहुंच जावे कि फिर उसका विभाग न हो सके, उसको परमाणु कहते हैं। अब परमाणु के निरवयव होने पर आक्षेप करते हैं-
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