सूत्र :सद्यः कालान्तरे च फलनिष्पत्तेः संशयः II4/1/44
सूत्र संख्या :44
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : बहुत से कर्मों का फल शीघ्र मिलता है, जैसे रोटी पकाना, दूध दुहाना इत्यादि। बहुत सी त्रियाओं का फल देर में मिलता है, जैसे खेती करना, वृक्ष लगाना इत्यादि। अब जिन कर्मों का फल शास्त्र में लिखा है अर्थात् ‘यज्ञादि करने से स्वर्ग मिलता है’ और ‘अनृत भाषणादि से नरक होता है’ इसमें सन्देह होता है कि कौन कर्म शीघ्र और कौन देरे में फलदायक होता है? इसका उत्तर देते हैः