सूत्र :लक्षणव्यवस्थानादेवा-प्रतिषेधः II4/1/36
सूत्र संख्या :36
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : भाव का लक्षण जो संज्ञा है, उसका नियम एक अवयवी में देखा जाता है। ‘घड़े में पानी भर दो’ यह कहने पर कोई मिट्टी के परमाणुओं में पानी नहीं भरता और न उनमें पानी भरा ही जा सकता है। अवयवी से जो काम सिद्ध हो सकता है, वह उसके अवयवों से नहीं हो सकता। इससे सिद्ध है कि अनेक लक्षणों में एकभाव और अनेक गुणों से एक गुणी सिद्ध होता है। यदि एक न मानोगे तो फिर समुदाय भी न रहेगा। अब अभाववादी आक्षेप करता हैः