सूत्र :नानेकलक्षणैरेकभावनिष्पत्तेः II4/1/35
सूत्र संख्या :35
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : अनेक लक्षणों से एकभाव की सिद्धि होती है, इसलिए अनेकवाद ठीक नहीं। अनेक गुण और भिन्न भिन्न अवयव मिलकर एक गुणी या अवयवी को सिद्ध करते हैं। गुणों के रहित गुणी और अवयवों से पृथक अवयवी नहीं हो सकता। इस पर और भी हेतु देते हैः