सूत्र :नित्यस्या-प्रत्याख्यानं यथोपलब्धिव्यवस्थानात् II4/1/28
सूत्र संख्या :28
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : नित्य वस्तुओं का खण्डन करना अयुक्त है, क्योंकि परीक्षा करने से पदार्थों के नित्य दोप्रकार के भेद पाये जाते हैं। अर्थात् जिन पदार्थों की उत्पत्ति किसी कारण से सिद्ध नहीं होती, जैसे आकाश काल, आत्मा इत्यादि वे सब नित्य हैं। अतः प्रमाण सिद्ध होने पर नित्य का खण्डन नहीं हो सकता। अब नित्यवादी आक्षेप करता हैः