सूत्र :व्यक्ताद्व्यक्तानां प्रत्यक्षप्रामाण्यात् II4/1/11
सूत्र संख्या :11
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : स्थूल पृथिव्यादि कारणों से शरीर की उत्पत्ति होती है, जैसे स्थूल मूर्तिकादि से स्थूल घटादि बनते हैं। यह प्रत्यक्ष प्रमाण से सिद्ध है। इससे शरीरादि के कारण परमाणुओं का भी साकार होना अनुमान होता है। इसलिए सजातीय कारण ही सजातीय कार्यों को उत्पन्न करते हैं अर्थात् जो गुण में होंगे, वह उसके कार्य में भी अवश्य आवेंगे। अब वादी आक्षेप करता है-