सूत्र :निमित्तनैमित्तिकोपपत्तेश्च तुल्यजातीयानामप्रतिषेधः II4/1/9
सूत्र संख्या :9
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : तुल्य जातीय (एक जाति वालों) में एक की उत्पत्ति का कारण दूसरे को देखते है। जैसे पृथ्वी की उत्पत्ति का कारण जल है और जल की उत्पत्ति का कारण तेज है। परन्तु यह कार्य कारण भाव होते हुए भी पृथ्वी, जल, तेज आदि भूत कहलाते हैं। ऐसे ही मोह राग और द्वेष का कारण होते हुए भी कहला सकता है। अब प्रेत्यभाव की परीक्षा करते हैं।
प्रश्न-जब कि आत्मा नित्य है तो उसका जन्म मरण नहीं हो सकता और प्रेत्यभाव जन्म मरण का नाम है इसलिए नित्य आत्मा का प्रेत्यभाव नहीं हो सकता। इसका उत्तर-