सूत्र :न दोषलक्षणा-वरोधान्मोहस्य II4/1/8
सूत्र संख्या :8
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : मोह में दोष के लक्षण पाये जाते हैं, इसलिए मोह दोषों से भिन्न नहीं, क्योंकि लक्षण और प्रमाण ही से वस्तु का यथार्थ-ज्ञान होता है। दोष का लक्षण किसी कार्य के करने में प्रवृत्त होनाबताया गया है अर्थात् प्रवृत्ति का कारण होना। जबकि मोह प्रवृत्ति का कारण है, तो वह दोष क्यों नहीं? अब कार्य कारण भाव का उत्तर देते हैः-