सूत्र :निमित्तनैमित्तिकभावादर्थान्तरभावो दोषेभ्यः II4/1/7
सूत्र संख्या :7
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जब मोह दोषों के उत्पन्न होने का कारण है तो कार्य कारण भाव के होने से वह द्वेषादि से भिन्न है। क्योंकि कारण कभी नहीं हो सकता। इसलिए मोह दोष नहीं है, किन्तु दोषों का कारण है। इसका उत्तर देते हैः-