DARSHAN
दर्शन शास्त्र : न्याय दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Anhwik

Shlok

सूत्र :प्रवृत्तिर्यथोक्ता II4/1/1
सूत्र संख्या :1

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : तीसरे अध्याय में आत्मादि 6 प्रमेयों की परीक्षा की गई। अब चौथे अध्याय में प्रवृत्यादि शेष 6 प्रमेयों की परीक्षा की जाती है। पहले प्रवृत्ति और दोष की परीक्षा करते हैः- प्रवृत्ति का जो लक्षण कहा गया है, अर्थात् मन वाणी और शरीर से किसी काम का आरम्भ करना उसमें कुछ वक्तव्य नहीं है, क्योंकि वह सर्वसम्मत सिद्धान्त है। अब दोषों का वर्णन करते हैः