सूत्र :नियमानियमौ तु तद्विशेषकौ II3/2/40
सूत्र संख्या :40
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : नियम और अनियम इच्छा द्वेष के विभाजक हैं, तात्पर्य यह कि चेतन और अचेतन का भेद इच्छा द्वेष के सम्बन्ध और असम्बन्ध से ही विदित होता है। इच्छा और द्वेष का साक्षात् सम्बन्ध आत्मा से ही है, आत्मा ही इच्छा और द्वेष के कारण शरीर को प्रेरणा करता हैं अर्थात् ज्ञाता की इच्छा और द्वेष के कारण ही प्रवृत्ति और निवृत्ति शरीर से होती हैं, स्वंयमेव नहीं, इसका आशय यह है कि इच्छा द्वेष आत्मा के गुण हैं, उनके आश्रय से ही शरीर में प्रवृत्ति और निवृत्ति उत्पन्न होती हैं अन्यथा नहीं। अब इच्छादि के मनोधर्म होने का भी निषेध करते हैं: