सूत्र :बुद्धयवस्थानात प्रत्यक्ष्त्वे स्म्रित्यभावः II3/2/46
सूत्र संख्या :46
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : यदि बुद्धि को नित्य माना जाये तो जो पदार्थ देखे गए हैं, उनका प्रत्यक्ष रहना चाहिए और उनके सदा प्रत्यक्ष रहने पर स्मृति का अभाव होना चाहिए। क्योंकि जब तक प्रत्यक्ष है, तब तक स्मृति नहीं और जब स्मृति है, तब प्रत्यक्ष नहीं। इससे पाया जाता है कि बुद्धि अनित्य है। वादी शंका करता है।