सूत्र :स्मरणं त्वात्मनो ज्ञस्वाभाव्यात् II3/2/43
सूत्र संख्या :43
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : स्मृति भी एक प्रकार का ज्ञान है और ज्ञान आत्मा का धर्म सिद्ध हो चुका है, इसलिए स्मृति भी आत्मा का ही गुण है। प्रत्येक आत्मा में तीन प्रकार का ज्ञान होता है। “मैनें जाना था, मैं जानता हूं, मैं जानूँगा“ यह विकालिक ज्ञान केवल आत्मा में ही रह सकता हैं, इसलिए स्मृति भी आत्मा को ही होती है। अब जिन कारणों से स्मृति उत्पन्न होती है, उनको कहते हैं: