सूत्र :प्रणिधानलिङ्गादिज्ञानानामयुगप-द्भावादयुगपत्स्मरणम् II3/2/34
सूत्र संख्या :34
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जैसे आत्मा और मन का संयोग तथा संस्कार स्मृति के कारण होते हैं ऐसे ही चित्त की एकाग्रता और स्मर्तव्य विषय के लिंग आादि भी स्मृति का कारण हैं, जब वे एक साथ नहीं होते तो फिर उनसे होने वाली स्मृतियां एक साथ कैसे हो सकती हैं।
अब इसका विशेष दशाओं में अपवाद कहते हैं: