सूत्र :नान्तःशरीरवृत्तित्वान्मनसः II3/2/27
सूत्र संख्या :27
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : आत्मा के विशेष भागों से मन का सम्बन्ध होने से ज्ञान और स्मृति की उत्पत्ति मानना ठीक नहीं, क्योंकि यदि आत्मा और मन के सम्बन्ध से स्मृति होती तो मन के शरीरान्तवर्ती होने से और आत्मा के सम्पूर्ण शरीर में व्यापक होने से मन के साथ निरन्तर आत्मा का सम्बन्ध रहना चाहिए जिससे स्मृति में भी नैरन्तर्य की प्रसक्ति होगी और यह प्रत्यक्ष के विरुद्ध है, इसलिए आत्मा और मन के संयोग से समृति का मानना ठीक नहीं। इस पर शंका करते हैं:-