सूत्र :इन्द्रियैर्मनसः संनिकर्षाभावा-त्तदनुत्पत्तिः II3/2/22
सूत्र संख्या :22
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : विभु होने से यद्यपि आत्मा का सारे शरीर के साथ सम्बन्ध हैं, तथापि इन्द्रिय और मन का संयोग न होने से एक काल में अनेक विषयों का ज्ञान नहीं होता। मन का अणु होना सिद्ध हो चुका है, इसलिए उसका एक समय में सब इन्द्रियों के साथ सम्बन्ध नहीं हो सकता, अतएव एक साथ अनेक ज्ञान उत्पन्न नहीं होते। इस पर वादी पुनः आक्षेप करता है -