सूत्र :नेन्द्रियार्थयोस्तद्विनाशेऽपि ज्ञानावस्थानात् II3/2/19
सूत्र संख्या :19
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : ज्ञान न तो इन्द्रिय का गुण है और न अर्थ का क्योंकि इन्द्रिय और अर्थ के नाश होने पर भी ज्ञान मौजूद रहता है अर्थात् जब इन्द्रिय और अर्थ नहीं रहते तब भी मैंने यह देखा था, या सुना था इत्यादि स्मरण होता हैं, इससे जाना जाता हैं कि ज्ञान इन्द्रिय या अर्थ का गुण नहीं, किन्तु जो इन्द्रियों के द्वारा अर्थों को ग्रहण करता हैं, उसका गुण हैं। बुद्धि का गुण होना अगले सूत्र से निषिद्ध है:-