सूत्र :व्यूहान्तराद्द्रव्यान्तरोत्पत्तिदर्शनं पूर्वद्रव्य-निवृत्तेरनुमानम् II3/2/17
सूत्र संख्या :17
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : पहला शरीर जिन परमाणुओं से बना था, उनका निकल जाना और दूसरे परमाणुओं का उनके स्थान में आ जाना एक प्रकार का विनाश और उत्पत्ति ही है। जैसे जिन परमाणुओं से एक मट्टी का गोला बना था, जब उससे न्यूनाधिक होकर घड़ा या थाली आदि बन जाती है तो उस गोले का नाश और घड़े या थाली की उत्पत्ति मानी जाती हैं, ऐसे ही दूध का नाश और दही की उत्पत्ति भी माननी चाहिए। अतः परिणाम उत्पत्ति और विनाश का बाधक नहीं हो सकता। पुनः इसी की पुष्टि करते हैं:-