सूत्र :क्षीरविनाशे कारणानुपलब्धिव-द्दध्युत्पत्तिवच्च तदुपपत्तिः II3/2/14
सूत्र संख्या :14
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : . जैसे दूध का नाश होकर जब दही बन जाता है तो दूध के नाश का कारण और दही की उत्पत्ति का कारण ज्ञान नहीं होता, परन्तु तो भी दही की उत्पत्ति और दूध का नाश माना जाता है। ऐसे ही बिना कारण के जाने भी स्फटिक में पहली व्यक्ति का नाश और पिछली व्यक्ति की उत्पत्ति माननी चाहिए। इसका उत्तर देते हैं:-