सूत्र :लिङ्गतो ग्रहणान्नानुपलब्धिः II3/2/15
सूत्र संख्या :15
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : दूध का नाश और दही की उत्पत्ति ये दोनों कार्य प्रत्यक्ष उपलब्ध होते हैं, इसलिए इनके कारण का अनुमान किया जा सकता है, किन्तु स्फटिक में पहली व्यक्ति के नाश और दूसरी की उत्पत्ति का कोई चिन्ह नहीं पाया जाता, जिससे उनके कारण का अनुमान किया जावे बिना प्रत्यक्ष के जो अनुमान किया जाता है, वह, ठीक नहीं होता। इसलिए दूध और दही का दृष्टान्त ठीक नहीं, अब पुनः शंका करते हैं:-