DARSHAN
दर्शन शास्त्र : न्याय दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Anhwik

Shlok

सूत्र :लौकिकपरीक्षकाणां यस्मिन्नर्थे बुद्धिसाम्यं स दृष्टा-न्तः II1/1/25
सूत्र संख्या :25

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : जो लोग साधारण रूप से किसी बात को मानते हैं वे लौकिक कहलाते हैं और जो लोग हर एक पदार्थ के गुणों को बुद्धि तथा तर्क द्वारा जानकर निर्णीत करते हैं वे परीक्षिक कहलाते हैं। जिस पदार्थ को लौकिक और परीक्षक एक सा समझते हैं, उसी को दृष्टान्त कहते हैं। दृष्टान्त के विरोध से ही प्रतिपक्षियों के सिद्धान्त खण्ड़न किये जाते हैं और दृष्टान्त के ठीक होने से अपने अंगीकृत सिद्धांन्तों को पुष्ट(दृढ़) किया जाता है। प्रश्न-सिद्धांन्त किसे कहते हैं ?