सूत्र :तन्त्राधिकरणाभ्युपगमसंस्थितिः सिद्धान्तः II1/1/26
सूत्र संख्या :26
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : सिद्धान्त तीन प्रकार के होते हैं, प्रथम तन्त्र सिद्धांत द्वितीय अधिकरण सिद्धांत तृतीय अभ्युपगम सिद्धांत । और तन्त्र सिद्धांत दो प्रकार का होता है।
प्रश्न-तन्त्र किसे कहते हैं ?
व्याख्या :
उत्तर-तन्त्र उसे कहते हैं कि बहुत से ऐसे पदार्थों का जिसमें एक का दूसरे से सम्बन्ध हो और वर्णन आये उसको तन्त्र कहते हैं। शास्त्रों को जिसमें हर एक आवश्यक बात का जो मनुष्य को मुक्त करने के लिए आवश्यक है वर्णन और परीक्षा विद्यमान है।
प्रश्न-दो प्रकार के तन्त्र सिद्धांत कौन से हैं ?