सूत्र :यमर्थमधिकृत्य प्रवर्तते तत्प्रयोजनम् II1/1/24
सूत्र संख्या :24
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : अर्थ-जिस वस्तु को आत्मानुकूल या प्रतिकूल जानकर उसको ग्रहण करने का या त्याग करने का विचार जिस लिए उत्पन्न होता है वही प्रयोजन या उद्धेश्य कहलाता है ।
प्रश्न-दृष्टान्त किसे कहते हैं ?