सूत्र :सर्वतन्त्रावि-रुद्धस्तन्त्रेऽधिकृतोऽर्थः सर्वतन्त्रसिद्धान्तः II1/1/28
सूत्र संख्या :28
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जिस बात के विरूद्ध किसी शास्त्र में प्रमाण न मिले और उसको एक शास्त्र ने उपपादन किया हो उसे सर्वतन्त्र सिद्धांत (सर्वदेशी) कहते हैं। यथा नासिका (नाक) आदि इन्द्रियों से गन्धादि का ज्ञान होता है इसके विरूद्ध किसी शास्त्र में प्रमाण नहीं मिलेगा। या पृथ्वी आदि पांच भूत हैं इत्यादि।
हर एक बात को प्रमाण द्वारा जांच कर स्वीकार करना चाहिए।
प्रश्न-प्रतितन्त्र सिद्धांत किसे कहते हैं ?