सूत्र :प्रवर्तनालक्षणा दोषाः II1/1/18
सूत्र संख्या :18
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : प्रवृत्ति के कारण अर्थात् प्रवृत्ति के कराने वाले को दोष कहते हैं।
व्याख्या :
प्रश्न-प्रवृत्ति को कौन करवाते हैं ?
उत्तर-राग, द्वेष और मोह यह तीनों जीव की प्रवृत्ति को करवाते हैं, यही दोष है।
प्रश्न-प्रेत्य भाव का लक्षण क्या है ?