DARSHAN
दर्शन शास्त्र : न्याय दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Anhwik

Shlok

सूत्र :प्रवर्तनालक्षणा दोषाः II1/1/18
सूत्र संख्या :18

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : प्रवृत्ति के कारण अर्थात् प्रवृत्ति के कराने वाले को दोष कहते हैं।

व्याख्या :
प्रश्न-प्रवृत्ति को कौन करवाते हैं ? उत्तर-राग, द्वेष और मोह यह तीनों जीव की प्रवृत्ति को करवाते हैं, यही दोष है। प्रश्न-प्रेत्य भाव का लक्षण क्या है ?

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