सूत्र :पद्मादिषु प्रबोधसम्मीलनविकारवत्तद्विकारः II3/1/20
सूत्र संख्या :20
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जैसे अनित्य कमल के फूल में प्रबोध (खिलना) सम्मीलन (बन्द होना) आदि विकार स्वाभाविक हैं, ऐसे ही सद्योजात वालक में भी हर्ष भय, शोक स्वाभाविक रीति पर उत्पन्न हो जाते हैं, इस दशा में पूर्वजन्म के मानने की कोई आवश्यकता नहीं, अब इसका समाधान करते हैं:-