सूत्र :तदात्मगुणसद्भावादप्रतिषेधः II3/1/14
सूत्र संख्या :14
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : स्मृति आत्मा का गुण हैं, न कि किसी इन्द्रिय का। यदि इन्द्रियों का गुण स्मृति हो तो तो किसी एक कर्ता के न होने से विषयों का प्रतिसन्धान नहीं हो सकता था अर्थात् एक इन्द्रिय से जिस विषय का ज्ञान हुआ, दूसरा इन्द्रिय उसके स्मरण का हेतु क्यों कर हो सकेगा ? यदि स्मर्तव्य विषय को ही स्मृति का कारण माना जावे तो मृत देह में स्मृति क्यों नहीं उत्पन्न होती। जबकि उसमें इन्द्रिय भी मौजूद हैं और समर्तव्य विषय भी सम्मुख हैं, फिर स्मृति का बाधक कौन हैं ? इससे सिद्ध है कि स्मृति केवल आत्मा का गुण है, स्मर्तव्य विषय उसके उदबोधक अवश्य हैं, परन्तु उसका आधार केवल आत्मा हैं, बिना आत्मा के स्मृति और किसी पदार्थ में रह नहीं सकती। इसके अतिरिक्त ‘मैं स्मरण करता हूं‘ यह प्रत्यय भी जो प्रत्येक मनुष्य को होता होता है, स्मृति का आत्मगुण होना सिद्ध करता है। इस पर और भी हेतु हैं:-