सूत्र :नैकस्मिन्नासास्थिव्यवहिते द्वित्वाभिमानात् II3/1/8
सूत्र संख्या :8
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : यह समझना कि बाईं ओर दाई दो आंख हैं, ठीक नहीं, क्योंकि आंख केवल एक ही है, नाक की हड्डी के बीच में आ जाने से दो मालूम होती हैं जैसे किसी तडाग में पुल बांध देने से दो तड़ाग नहीं हो जाते, ऐसे ही नाक की हड्डी के बीच में आ जाने से दो आंख नहीं हो सकती। इसलिए जो व्यक्ति आत्मा को इन्द्रियों से भिन्न सिद्ध करने के लिए दो गई, यह ठीक नहीं। अब इसका उत्तर देते हैं:-