सूत्र :विभक्त्यन्तरोपपत्तेश्च समासे II2/2/40
सूत्र संख्या :40
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : कुछ यही एक बात नहीं कि घण्टा बजाकर छू देने से शब्द रुक जाता हो, किन्तु एक ही घण्टे में या कुछ बाजे आदि में अनेक विभागों के शब्द को हम सुनते हैं इससे सिद्ध होता है कि आकाश के अतिरिक्त अन्य द्रव्य भी शब्द भेद का कारण हैं, इसलिए यह शब्द विभाग भी शब्द के अनित्य होने का कारण है।
व्याख्या :
प्रश्न -शब्द कितने प्रकार का है ?
उत्तर - दो प्रकार का। एक ध्वन्यात्मक दूसरा वर्णात्मक। ध्वन्यात्मक शब्द की परीक्षा हो चुकी, अब वर्णात्मक शब्द की परीक्षा प्रारम्भ करते है।
संशय कारण बतलाते हैं:-