सूत्र :नान्यत्वेऽप्यभ्यासस्योपचारात् II2/2/31
सूत्र संख्या :31
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : . बार-बार उच्चारण करने से शब्द नित्य नहीं हो सकता, क्योंकि अनित्य वस्तुओं का भी बार-बार उच्चारण देखा जाता है। जैसे दो बार हवन करता है, तीन बार भोजन करता है, इत्यादि जब बार-बार करने से हवन और भोजन नित्य नहीं हो सकते, तब बार-बार के उच्चारण से शब्द नित्य क्योंकर हो सकता हैं ? इसलिए व्यभिचार होने से यह हेतु ठीक नहीं। अब वादी फिर शंका करता हैं:-