सूत्र :चेष्टेन्द्रियार्थाश्रयः शरीरम् II1/1/11
सूत्र संख्या :11
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : हां बैठकर इन्द्रिय पदार्थ के लिए चेष्ट करते हैं, उसे शरीर कहते हैं।
व्याख्या :
प्रश्न- ‘चेष्टा’ किसे कहते हैं ?
उत्तर- इष्ट या अनिष्ट वस्तु की प्राप्ति व त्याग के प्रयत्न का नाम ‘चेष्टा’ हैं।
प्रश्न-इन्द्रियों को आश्रम क्यों कहा ?
उत्तर-जिसके कृपाकटाक्ष से अनुगृहीत होकर अपने विषयों को इन्द्रियां प्राप्त करती हैं वह उनका ‘आश्रय अर्थात् अवलम्ब है और वही शरीर है।
प्रश्न-आश्रय या अवलम्ब किसे कहते हैं ?
उत्तर-इन्द्रिय और पदार्थ के सम्बन्ध से उत्पन्न हुआ सुख और सुख का जो ज्ञान परस्पर सम्बन्ध है उनका वही सहारा है और वही शरीर है।
प्रश्न-इन्द्रिय किसे कहते हैं ?