सूत्र :प्रसिद्धसाधर्म्यात्साध्यसाधनमुपमानम् II1/1/6
सूत्र संख्या :6
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : स्पष्ट गुणों के मिलाने से जो एक वस्तु का ज्ञान प्राप्त होता है उसे ‘उपमान’ अर्थात् सादृश्य कहते हैं यथा किसी ने कहा कि गौ के तुल्य “नील गाय” होती है। जब वह पुरूष जंगल में गया तो नील गाय को गौ के सदृश देखकर जान लिया कि यह ‘नील गाय’ है। इस प्रकार बाह्य स्पष्ट गुणों की तुलना करना उपमान कहलाता है।
व्याख्या :
प्रश्न-‘उपमान’ प्रमाण से क्या लाभ है ?
उत्तर-संज्ञी (नामवाला) और संज्ञा (नाम) का सम्बन्ध इसी से पैदा होता है क्योंकि गाय के सदृश होने से नील गाय और माष के से पत्तों वाली होने से ‘माषपर्णी’ आदि सैकड़ो औषधियां ‘उपमान से ही जानी जाती हैं, इसी प्रकार और अवसरों पर भी उपमान से काम निकलता है।
प्रश्न-शब्द किसे कहते हैं ?