सूत्र :ततः क्षीयते प्रकाशावरणम् ॥॥2/52
सूत्र संख्या :52
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द
अर्थ : पद० - तत:। क्षीयते। प्रकाशावरणम् ।
पदा० - (तत:) प्राणायमसे (प्रकाशावरणम्) बुद्धिसत्त्व के आच्छादक क्केश तथा पा (क्षीयते) क्षीण हो जाते हैं।।
व्याख्या :
भाष्य -बुद्धिसत्त्व का नाम “प्रकाश” और उसमें होने वाले विवेकज्ञान के प्रतिबन्धक अविद्यादि क्केश तथा तन्मूलक पापों का नाम “आवरण” है, जब योगी का प्राणायाम प्रतिष्ठित होता है जब उक्त दोनों आवरण क्षीण हो जाते हैं और क्षीण होने सु पुन: विवेकाज्ञान के प्रतिबन्धक नहीं होते।।
सं० - अन्य फल कथन करते हैं:-