सूत्र :आद्यहेतुता तद्द्वारा पारम्पर्येऽप्यणुवत् II1/74
सूत्र संख्या :74
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जिस प्रकार परम्परा सम्बन्ध में घटादि के कारण अणु माने थे, उसी भांति परम्परा सम्बन्ध से महादादिकों का कारण भी प्रकृति ही है, अतएव कुछ दोष न रहेगा।