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दर्शन शास्त्र :
सांख्य दर्शन
Language
HINDI
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Darshan
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सूत्र :
अतिप्रसक्तिरन्यधर्मत्वे II1/53
सूत्र संख्या :
53
व्याख्याकार :
स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ :
यदी और धर्म से बन्धन मान लें तो नियम टूट जायेंगे, क्योंकि उस अवस्था में बद्ध पुरूष के पाप से मुक्त बन्धन में आ जायेंगे, जो असंगत है।
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