DARSHAN
दर्शन शास्त्र : सांख्य दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Shlok

सूत्र :न कर्मणाप्यतद्धर्मत्वात् II1/52
सूत्र संख्या :52

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : कर्म से भी बन्धन नही होता, क्योंकि वह भी शरीर सहित आत्मा में होता है और शरीर सुख-दुःख भोगने से होता है। इसलिए कर्म से पहिले शरीर का होना आवश्यक है और शरीर होने से बन्धन भी है, उसके उत्पन्न होने की आवश्यकता नही।

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: fwrite(): write of 34 bytes failed with errno=122 Disk quota exceeded

Filename: drivers/Session_files_driver.php

Line Number: 263

Backtrace:

A PHP Error was encountered

Severity: Warning

Message: session_write_close(): Failed to write session data using user defined save handler. (session.save_path: /home2/aryamantavya/public_html/darshan/system//cache)

Filename: Unknown

Line Number: 0

Backtrace: