सूत्र :निष्क्रियस्य तदसम्भवात् II1/49
सूत्र संख्या :49
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : त्रिया से शून्य जड़ प्रकृति में भी असम्भव है और व्यापक ब्रह्य में भी गति असम्भव है, और यदि जीव की गति पर विचार किया जावे तो प्रश्न यह उपस्थित होगा, कि जीव विभु है अथवा मध्यम परिणाम वाला है अथवा अणु है? यदि विभु मान लें तो गति हो नही सकती। यदि मध्यम परिमाण वाला मान लें तो यह दोष होगा।
प्रश्न- क्या आत्मा अंगुष्ठमात्र नही है? यदि अंगुष्ठमात्र है तो उसमें गति इत्यादि सम्भव है। यदि विभु है तो गति हो ही नहीं सकती।