सूत्र :नियतकारणात्तदुच्छित्तिर्ध्वान्तवत् -II1/56
सूत्र संख्या :56
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जिस प्रकार मन्द अन्धकार से सीप में चांदी का ज्ञान या रज्जू में सर्प का ज्ञान है, उसके नाश का नियत उपाय है, अर्थात् प्रकाश का होना, किन्तु प्रकाश के बिना किसी अन्य उपाय से यह अज्ञान नष्ट नही हो सकता। इसी प्रकार अविवेक से उत्पन्न होने वाला जो बन्धन है, उसके नष्ट करने का उपाय विवेक अर्थात् पदार्थ ज्ञान है।