सूत्र :अत्रापि प्रतिनियमोऽन्वयव्यतिरेकात् II6/15
सूत्र संख्या :15
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : इस अविवेक के नाश करने में भी प्रतिनियत (जिस से अवश्य नाश् हो जाय) अन्वय व्यतिरेक से निश्चय कर लेना चाहिये। यह अन्वय यही है कि विवेक के होने से इसका नाश और विवेक के न होने से अविवेक का होना प्रतीत होता है, यही अन्वय व्यतिरेक का तात्पर्य है।