सूत्र :निर्गुणत्वमात्मनोऽसङ्गत्वादिश्रुतेः II6/10
सूत्र संख्या :10
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : मुक्ति अवस्था में आत्मा निर्गुण रहता है। सांसारिक दशा में लौकिक सुख आत्मा को बाधा पहुंचाते हैं, मुक्ति अपस्था में आत्मा को असंग अर्थात् विकृति के संग से श्रुतियों द्वारा संना गया है।