सूत्र :सुखलाभाभावादपुरुषार्थत्वमिति चेन्न द्वैविध्यात् II6/9
सूत्र संख्या :9
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जबकि किसी को भी सुख प्राप्त नहीं होता तो मुक्ति के वास्ते उपाय करना निष्फल है क्योंकि मुक्ति में भी सुख नहीं प्राप्त हो सकता, ऐसा न समझना चाहिये। सुख भी दो प्रकार के है-एक मोक्ष है, वह सुख और प्रकार का है उसमें किसी प्रकार के दुःख का मेल नहीं हैं। दूसरा सांसारिक सुख हैं, वह और ही प्रकार का हैं, क्योंकि उसमें दुःख मिले हुए रहा करते हैं।