सूत्र :न मुक्तस्य पुनर्बन्धयोगोऽप्यनावृत्तिश्रुतेः II6/17
सूत्र संख्या :17
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : मुक्ति की फिर बन्ध योग नहीं होता अर्थात् जो मुक्त हो चुका है वह फिर नहीं बन्ध सकता है क्योंकि ‘‘न स पुनरावत्तेते’’ चुका है (वह फिर नहीं आता है), इस श्रुति से मुक्त होने पर नहीं आता, ऐसा सिद्ध होता है।